Land New Rule : भारत में पैतृक संपत्ति को लेकर लंबे समय से विवाद होते आए हैं, खासकर जब बात पोते-पोतियों के अधिकारों की हो। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा बड़ा फैसला सुनाया है जिसने करोड़ों भारतीय परिवारों के लिए कानून की तस्वीर साफ कर दी है। अगर आपके परिवार में भी दादा-दादी की संपत्ति को लेकर कोई सवाल है, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में साफ कर दिया है कि दादा की पैतृक संपत्ति पर पोते का भी अधिकार है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले संपत्ति के बंटवारे और अधिकार को लेकर अक्सर परिवारों में कानूनी विवाद खड़े हो जाते थे।
क्या होती है पैतृक संपत्ति?
पैतृक संपत्ति वह होती है जो चार पीढ़ियों से परिवार में चली आ रही हो – यानी पिता, दादा, परदादा और परपरदादा। ऐसी संपत्ति में अगली पीढ़ी का स्वाभाविक रूप से अधिकार बनता है, बिना किसी वसीयत के भी।
पोते का हक कब बनता है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि:
- अगर संपत्ति पैतृक है, तो पोते का उसमें जन्म से ही अधिकार होता है।
- अगर संपत्ति स्व-अर्जित (self-acquired) है और दादा ने कोई वसीयत नहीं की है, तब उस पर पोते का हक नहीं बनता।
- अगर दादा ने वसीयत बनाई है, तो संपत्ति उसी अनुसार बंटेगी।
क्या दादा अपनी संपत्ति किसी को भी दे सकते हैं?
यह सवाल कई लोगों के मन में होता है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार:
- अगर संपत्ति स्व-अर्जित है, तो दादा उसे किसी को भी दे सकते हैं – चाहे बेटा हो, बेटी हो या कोई बाहरी व्यक्ति।
- लेकिन अगर संपत्ति पैतृक है, तो उसे पूरी तरह से किसी एक व्यक्ति को देना संभव नहीं है। उसमें अगली पीढ़ी का भी हिस्सा तय होता है।
इस फैसले से किसे मिलेगा फायदा?
इस फैसले से उन परिवारों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी:
- जहां पिता की मृत्यु के बाद पोता अपने दादा की संपत्ति में अधिकार मांग रहा है।
- जहां दादा ने संपत्ति किसी एक बेटे या बेटी के नाम कर दी है और बाकी पोते-पोतियों को अधिकार नहीं मिल पा रहा है।
क्या बेटियों को भी मिलेगा हक?
जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी कहा था कि बेटियों का भी पैतृक संपत्ति में बराबर का हक है, चाहे उनकी शादी हो चुकी हो या नहीं। अब पोतियों को भी यह अधिकार मिलेगा यदि संपत्ति पैतृक है।
निष्कर्ष – अपने हक को समझिए और आवाज़ उठाइए
अगर आपके परिवार में भी कोई ऐसा मामला चल रहा है जिसमें दादा की संपत्ति में आपका हक नहीं मिल रहा, तो यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला आपके पक्ष में है। कानून अब पहले से ज्यादा स्पष्ट है – अगर संपत्ति पैतृक है, तो पोते का अधिकार जन्म से ही है और उसे रोका नहीं जा सकता।
ज़रूरी सलाह: अगर आपके पास ऐसा कोई केस है, तो किसी अनुभवी वकील से सलाह जरूर लें और सही दस्तावेज़ इकट्ठा करें ताकि आपको न्याय समय पर मिल सके।
Disclaimer: यह लेख न्यायिक जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी कानूनी सलाह के लिए संबंधित वकील से संपर्क करें।