Check Bounce New Rule : अगर आप या आपके किसी जानने वाले का चेक बाउंस हो चुका है या ऐसा खतरा है, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सुप्रीम कोर्ट की ओर से चेक बाउंस (Cheque Bounce) मामलों को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सामने आया है, जिसके तहत अब ऐसे मामलों में सीधे जेल भेजना जरूरी नहीं होगा। यह फैसला छोटे व्यापारियों, आम नागरिकों और बिजनेस सेक्टर के लिए एक बड़ी राहत की तरह है।
क्या है चेक बाउंस से जुड़ी पुरानी व्यवस्था
अब तक यदि किसी व्यक्ति का चेक बाउंस हो जाता था (जैसे कि खाते में बैलेंस ना होना, गलत हस्ताक्षर, या अन्य तकनीकी वजह), तो भारतीय दंड संहिता की धारा 138 के तहत उस व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होता था। इसमें आरोपी को जेल तक हो सकती थी, भले ही मामला जानबूझकर न किया गया हो।
नया नियम क्या कहता है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि:
- यदि कोई चेक अनजाने में बाउंस हो जाता है, तो पहली प्राथमिकता समझौते और रिकवरी पर होनी चाहिए।
- सीधे गिरफ्तारी की जगह पहले नोटिस और समय दिया जाएगा कि वह रकम चुका सके।
- RBI की नई गाइडलाइन के अनुसार, बैंक अब चेक बाउंस के मामले में पारदर्शिता बरतेंगे और ग्राहकों को उचित जानकारी और समाधान की सुविधा देंगे।
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि:
“हर चेक बाउंस को अपराध का दर्जा देना, कानून का दुरुपयोग है। पहले व्यक्ति को सुनवाई और रिकवरी का अवसर दिया जाना चाहिए।”
इस फैसले के बाद कई लंबित केसों में राहत मिल सकती है और कोर्ट पर बढ़ते दबाव को भी कम किया जा सकता है।
किसे मिलेगा फायदा?
- छोटे व्यापारी और दुकानदारी करने वाले लोग, जिनके ग्राहकों से चेक लौट जाते थे।
- आम नागरिक, जो गलती से समय पर बैंक बैलेंस नहीं रख सके।
- बैंकिंग सिस्टम, जो अब ज्यादा डिजिटल और प्रोसेसिंग-फ्रेंडली बनेगा।
क्या होगा अब प्रक्रिया?
- पहले नोटिस भेजा जाएगा – जिसमें आपसे बकाया रकम चुकाने के लिए समय दिया जाएगा।
- समझौते का विकल्प मिलेगा – यदि आप चेक की राशि वापस कर देते हैं, तो कानूनी कार्यवाही से बचा जा सकता है।
- बार-बार जानबूझकर चेक बाउंस करने वालों पर ही सख्त कार्रवाई होगी।
ध्यान देने योग्य बातें
- यह नियम उन मामलों पर लागू होता है, जहां इरादा धोखाधड़ी का नहीं बल्कि भूल या परिस्थिति जनित है।
- बार-बार जानबूझकर चेक बाउंस करना अभी भी अपराध माना जाएगा।
- इस फैसले से देश में डिजिटल भुगतान को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे भविष्य में चेक पर निर्भरता कम हो सकती है।